जीवन दृष्टि
            मैंने अपने कुछ छात्रों को यह सुझाव दिया कि वे अपने लिए वर्ष 2023/गर्मी की छुट्टियों के लिए एक दृष्टि (vision) तैयार करें जिसमें
1. योग और ध्यान
2. कला
3. साहित्य
4. विज्ञान
5. प्रकृति का सानिध्य हो.
ताकि उनके व्यक्तित्व को एक सही दिशा और आकार मिले. कुछ छात्र इसको लेकर बेहद रोमांचित हुए और उन्होंने इस पर कार्य शुरू भी कर दिया.
            इस प्रकार की दृष्टि हम सबकी होनी चाहिए. दुर्भाग्यवश, बचपन से ही हमें कमाई की एक सीमित परिभाषा बताई जाती है: धन की कमाई. इस परिभाषा में कला का आनंद, रचनात्मकता की तृप्ति, योग ध्यान के रहस्य, विज्ञान के अनुसंधान जैसी बातों के लिए कोई जगह नहीं होती. फलस्वरुप हम एक बुझा सा, बेजान जीवन जीते हैं.
            फिर हममें और पशुओं में अंतर ही क्या रहा? आख़िर पशुओं के लिए ज़िंदा रहना ही एकमात्र प्राथमिकता रहती है. हम यदि पशुओं से बेहतर अपने आप को मानते हैं, तो यह मान्यता हमारे व्यवहार और सोच में प्रतिबिंबित होनी चाहिए.